इस साल भी दीपावली आ ही गयी....
पर्व त्योहारों का मज़ा जैसा बचपन में हुआ करता था अब वैसा नहीं रहा। इसलिए हालांकि मनोरंजन के उपस्करों में इजाफा हुआ है, परन्तु आनंद के अवसर न्यून हो गए से लगते हैं।
फिर भी ...शुभ दीपावली।
आप कहें बचपन और अब में क्या अंतर जान पड़ता है?
1 comment:
कोई भी त्यौहार, जैसा बचपन में लगता है, वैसा बड़े होकर कभी नहीं लगता. बड़े होकर, हमें अपने जिम्मेदारियो के बिच इतना दब जाते है की, ख़ुशी का असली मतलब ही भूल जाते है.
इसलिए तो लगता है, की खाश बच्चे ही होते.
Post a Comment