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Wednesday, 3 March 2010

मेरे पप्पा


पप्पा,

पप्पा कहता था आपको,
अब भी कहता हूँ ,
आज भी प्रेरणा देते हैं, जब मुश्किल में होता हूँ,
उफनती नदियाँ,
जब सारा रस्ता छेक लेती हैं,
मुश्किल हो जाता जब,
एक डग भी भरना,
आज भी
आप ही देते हैं सहारा, और बंधाते हैं एक उम्मीद
हाँ पप्पा,
याद है मुझे अभी भी
आपकी वो बात
कि सबसे बड़ी पूंजी हैं
अनंत इच्छाशक्ति और अथक प्रयास,
विरासत में मिली पूंजी,
कैसे भूल सकता हूँ,
बस
इतना ही अंतर है,
कल
आप मेरी उंगलियाँ पकड़कर
आवाज दे कर
डांट कर
पुचकार कर
हंस कर,
संभाल लिया करते थे मेरी डगमगाती नाव को
और आज,
दे दी है आपने,
मेरे ही हाथों में पतवार,
और सोच में हैं सदा कि भांति,
हथेली पर ठुड्डी टिकाये 

पप्पा,
मैं जानता हूँ,
आप अभी भी नहीं बदले,
मंडराते हैं आज भी अपने बच्चों के गिर्द,
और करते हैं माजी की देखभाल,
हम कुछ भूल जाते तो
कर लेते हैं
आकर सपनों में बात 

पहले आप कहीं थे
अब हर-कहीं होकर,
तोड़ दी हैं आकार की बेड़ियाँ,
शायद अपने बच्चों के लिए ही तो,
कि काम आ पायें इस शरीर के बाद भी, 
तभी तो
मुश्किल वक्त में, जब टूट जाती है मेरी पतवार ,
लहरें डराती हैं,
धीरज तोडतीं हैं बार बार,
आप आते हैं
नाव के पाल की हवा बनकर,
दुखती रगों की दवा बनकर,

पप्पा,
सुखप्रद हो आपकी स्मृति,
चाहे कितनी भी
लेकिन,
आपका होना सार्थक करता
मेरी हरेक सफलता को आज,
जब
कमी नहीं हैं बधाईयों की,
लेने वाला कोई नहीं.
वो तो आप ही थे,
आप ही हैं

पप्पा,
आज भी कभी जब
माजी का सर दुखता है, और गर्म होता है,
याद करती हैं आपको,
कहती हैं,

तुम्हारे पप्पा पढते थे एक मंत्र
और फूंक देते थे उसी वक़्त,
ठीक हो जाती थी मैं बिलकुल,
पप्पा,
आजकल मैं पढता हूँ मंत्र,
नाम आपका लेकर,
माजी ठीक होती हैं आज भी
आपमें,
आपकी  आस्था में
एक शक्ति थी,
और है


कम से कम तो एक तसल्ली है फिर भी अब,
जायेंगे नहीं आप कही भी, मुझे छोड़कर, 
बने रहेंगे मेरी स्मृति में.........मेरे विस्मृत होने तक.