कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है.
कि कैसा होता कि
खुद के रिश्तेदार इतने अच्छे होते
कि छुट्टियों में गाँव जाता
और खुश होकर वापस आता,
न कि देकर ढेर सारे पैसे
किसी हिल स्टेशन में
चंद-दिन-चंद-रातों के लिए
"विजिट" करता.
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है.
कि कैसा होता कि
सत्तू, अजवायन, काला नमक, प्याज नीम्बू और पुदीने का बना सत्तू-ड्रिंक
हम दिल्ली में पीते
और एहसास भी नहीं होता कभी
अपनी मिट्टी से अलग होने का
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है.
कि कैसा होता कि
होता हर गाँव में एक साइबर कैफे
और चाट विंडो पर एक सन्देश भर भेज देने से हो जाता,
किसी समस्या का निदान
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है.
कि कैसा होता कि
सुबह सुबह मिलते गले
लगाते नारे साथ-साथ
अल्लाहो-अकबर,जय श्री राम के
मुश्ताक और शीला की शादी में शरीक होते,
मौलवी और पंडित
और नाम रखते उनके बच्चे का "भारत"
और धर्म होता "भारतीय"
और अगली पीढी की जात होती : "भारतीय"
जानता हूँ कि दिन में सपने देख रहा हूँ मैं
फिर भी,
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है
देखता हूँ सपने
कि हो रहे हैं संसद में शांति से सारे काम,
कि अरसा हो गए हैं देखे ट्राफिक जाम,
कि रुक रही है हर गाडी लाल बत्ती पर,
कि लागू है ये नियम राष्ट्रपति पर,
कि दाम बढते हैं उतने ही, जितनी आमदनी,
कि मूल्य है किसी का, बस एक अठन्नी,
कि बच्चे के दाखिले में प्रतिभा की ही दरकार है,
कि हर भारतीय बोले कितनी अच्छी सरकार है,
दिल कहता है,
नहीं हो सकती इतनी सारी चीज़ें ,
एक साथ,
लेकिन दिल ही तो है...
तभी तो कभी कभी
मेरे दिल में ख़याल आता है
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