जिंदगी तुझे देखा है हमने हर पल मुस्कुराते हुए,
कांपती रूह के मानिंद जज्बा-ए-जोश दिखाते हुए,
मुकद्दर की कोशिशों को अंगूठा दिखाते हुए,
रस्ते में मिला जो भी
उसको साथ बिठाते हुए,
ग़म-ए-खज़ाना को तहखाने में डाल कर,
शौक-मौज की फसल उगाते हुए,
पकड़ कर हरेक डाल जिन्दगी की
झूम के गाते हुए,
देखा जाए तो
ये ज़िंदगी है ही कितने दिनों की,
देखना मुश्किल है इसे,
बस गंवाते हुए,
ज़िंदगी,
तुझे देखा है हमने हर पल मुस्कुराते हुए
आती जाती हर शै को
हंसी से गुजारते हुए.
रंजो-ग़म की हर मुमकिन स्याही को मिटाते हुए
2 comments:
Nice one! is it original?
Yes it is.
Experience makes you what not! A poet is just one example.
Post a Comment